भगवान् विश्वकर्मा - विश्वकर्मा जयंती विशेष

विश्वकर्मा जी का विशेष उल्लेख महाभारत और पुराणों में होता है। उन्हें विश्वकर्मा ज्ञानकारी, कुशल, उत्तम शिल्पकलाकार और योग्य व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है।

ब्रह्माजीके पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र वास्तुदेव थे, जिन्हें शिल्प शास्त्र का आदि पुरुष माना जाता है। इन्हीं वास्तुदेव की अंगिरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा का जन्म हुआ। अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए विश्वकर्मा भी वास्तुकला के महान आचार्य बने । विश्वकर्मा जी ने देवताओं के लिए स्वर्ग के वास्तुकला का काम किया था। परमेश्वर विश्वकर्मा के ये पाँच पुत्रं, मनु, मय, त्वष्ठा, शिल्पी और देवज्ञ शस्त्रादिक निर्माण करके संसार करते है । लोकहित के लिये अनेकानेक पदार्थ को उत्पन्न करते वाले तथा घर ,मंदिर एवं भवन, मुर्तिया आदि को बनाने वाले तथा अलंकारों की रचना करने वाले है । इनकी सारी रचनाये लोकहितकारणी हैं । विश्वकर्मा ने ही कर्ण का कुंडल, विष्णु का सुदर्शन चक्र, पुष्पक विमान, शंकर भगवान का त्रिशूल, हमराज कॉल दंड आदि वस्तुओं का निर्माण किया था | विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर माना गया है और वास्तुकार मना जाता है इसलिए इस दिन उद्योगों फैक्ट्रियों और हर कारखानों में हर तरह के मशीन की पूजा की जाती है इस दिन को विश्वकर्मा पूजा नाम से जाना जाता है 17 सितंबर इंजीनियर के रूप में विश्वकर्मा पूजा मनाया जाता है।

विश्वकर्मा जयंती उनके जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है, जो वर्ष के विभिन्न भागों में अलग-अलग तारीखों पर हो सकती है।

विश्वकर्मा भगवान का जन्म 17 सितम्बर को होने का माना जाता है, और इस दिन को विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। लोग इस दिन विश्वकर्मा भगवान की पूजा, आराधना, और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए विशेष प्रयास करते हैं। विश्वकर्मा जयंती को कामगार और विशेष रूप से शिल्पकला के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, और यह उनके कौशल और योग्यता को मान्यता देने का एक अवसर है।

विश्वकर्मा जयंती को हर साल 17 सितम्बर को मनाने का कारण है कि यह परंपरागत रूप से भारतीय हिन्दू पंचांग (कैलेंडर) के अनुसार मनाई जाती है। यह त्योहार भगवान विश्वकर्मा को समर्पित होता है, जो कारीगरों और विभिन्न शिल्पकलाओं के प्रतिष्ठित देवता माने जाते हैं।

विश्वकर्मा जयंती के दिन, लोग विश्वकर्मा देवता की पूजा और आराधना करते हैं और उनके शिल्पकला, कारीगरी, और निर्माण क्षेत्र में उनकी आशीर्वाद मांगते हैं। यह त्योहार विशेषकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो उपकारी उपकरणों के निर्माण, जैसे कि मशीनरी, वाहन, और औजार, के क्षेत्र में काम करते हैं।

इसके अलावा, विश्वकर्मा जयंती को उत्सवी तरीके से मनाया जाता है, जिसमें लोग समुद्र और पहाड़ों के किनारे पर मेले आयोजित करते हैं, और विभिन्न प्रकार की विशेष खाद्य पदार्थ तैयार करते हैं। इस दिन कारीगरों को सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाने का भी एक मौका होता है।

इस प्रकार, विश्वकर्मा जयंती 17 सितम्बर को हर साल मनाई जाती है, क्योंकि यह विश्वकर्मा देवता की जन्म तिथि के रूप में मानी जाती है और भारतीय पंचांग के अनुसार इस दिन त्योहार का आयोजन किया जाता है।

English Conversion

Special mention of Vishwakarma ji is found in Mahabharata and Puranas. He is revered as Vishwakarma, knowledgeable, skilled, excellent craftsman and a capable person.

Vishwakarma ji was born as Lord Vishwakarma to his disciple Ikshvapati. Vishwakarma ji did the work of architecture of heaven for the gods. Vishwakarma Jayanti is celebrated as his birthday, which may be on different dates in different parts of the year.

 Lord Vishwakarma is believed to have been born on 17 September, and the day is celebrated as Vishwakarma Jayanti. People make special efforts on this day to worship, worship and seek the blessings of Lord Vishwakarma.

 Vishwakarma Jayanti is considered important for workers, especially those working in the field of crafts, and is an occasion to recognize their skills and abilities. The reason why Vishwakarma Jayanti is celebrated every year on 17 September is that it is traditionally celebrated according to the Indian Hindu Panchang (calendar).

The festival is dedicated to Lord Vishwakarma, who is considered to be the revered deity of artisans and various crafts. On the day of Vishwakarma Jayanti, people worship and worship the deity Vishwakarma and seek his blessings in their crafts, workmanship, and construction.

The festival is especially important for those who work in the field of manufacturing utilitarian equipment, such as machinery, vehicles, and tools. Apart from this, Vishwakarma Jayanti is celebrated in a festive manner, in which people organize fairs on the shores of the sea and mountains, and prepare a variety of special foods. There is also an opportunity to give respect and prestige to the artisans on this day.

 Thus, Vishwakarma Jayanti is celebrated every year on 17 September, as it is considered as the birth date of the deity Vishwakarma and according to the Indian calendar, the festival is organized on this day.


Note : All above contents are based on information available on internet.

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